आज के आधुनिक समय में लैपटॉप जैसी तकनीकी मशीन का चुनाव संयोग से नहीं, जागरूकता से करें !
यहाँ हमेशा कुशल क्षमता के साथ – साथ अच्छी गति की मशीन की आवश्यकता होती है। लेकिन आर्थिक दृष्टि से, अच्छी गति की मशीन और उसकी कीमत एक दूसरे के विपरीत हैं। यहाँ निर्माता कंपनियां लैपटॉप जरुरत और बजट को ध्यान में रखकर बनाती है। यहाँ जरूरी है कि आपको अपनी जरुरी क्षमता और आवश्यक अधिकतम गति की जानकारी हो। ताकि आप अपनी जरुरत के अनुसार एक लैपटॉप का चयन कर सकें। एक लैपटॉप का चयन आपकी जरुरत और उसकी तकनीकि विशेषताओं के आधार पर होना चाहिए , न कि किसी की सलाह के आधार पर।
आधुनिक समय में उपलब्ध तकनिकी के लैपटॉप को सामान्यतः उसमें दी गयी तकनीकि की कीमत से सीमान्त करते हैं। ये यह तय करता है की उपयोगकर्ता को किस बजट में कौन सी तकनीकि विशेषता वाला लैपटॉप निर्माता द्वारा उपलब्ध है। संभवतः हमें कम कीमत में अच्छी गति वाला लैपटॉप चाहिए जो हमारी आवश्यक जरुरत को तो पूरा करे ही, साथ ही कुछ अतिरिक्त कार्य और गति के लिए भी उसमें सम्भावना बनी रहे।
आज जैसे – जैसे तकनीकि विकास जिस गति से हो रहा है। हमें आज के समय के साथ – साथ भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर ही चुनाव करना चाहिए। हमें ऐसी मशीन का चुनाव करना चाहिए जो भविष्य के बदलाव को अपनाने (अडॉप्ट) में सक्षम हो। उदाहरण के लिए स्टोरेज (भण्डारण) डिवाइस के रूप में फ्लॉपी की जगह आज पेन ड्राइव ने ले ली है। ऐसे ही एक अन्य उदाहरण में – पूर्व में उपयोग होने वाली VGA पोर्ट्स तकनीकि उन्नयन (उपग्रडेशन) के चलते धीरे – धीरे लुप्त (कम उपयोगी) होते जा रहे हैं, और इसके बदले HDMI का उपयोग बढ़ रहा है।
डेस्कटॉप कंप्यूटरों के विपरीत, पोर्टेबिलिटी के लिहाज से लैपटॉप का आकर और वजन डिज़ाइन किया गया है। और पोर्टेबिलिटी के कारण लोगों को अपनी परियोजनाओं (प्रोजेक्ट्स) पर वस्तुतः कहीं से भी काम करने में सहज और सक्षम बनाते हैं। नयी तकनीकी से लैस लैपटॉप का चुनाव करें, जिससे निकट भविष्य में होने वाले तकनीकी उन्नयन (अपग्रडेशन) को अपनाया जा सके।
- ऑपरेटिंग सिस्टम का चुनाव – ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगकर्ता और प्रोसेसर के बीच की कड़ी है , जिसके द्वारा आप अपनी मशीन को किसी कार्य को करने का आदेश देते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम आपके मशीन के हार्डवेयर का उपयोग कर क्षमता , सुरक्षा और गति को सुनिश्चित करते हैं, और उसी के अनुसार आदेश का पालन करते हैं। प्रोसेसर जिस डिजिटल भाषा को समझता है वह ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ही प्रेषित, निर्देशित और नियंत्रित की जाती है। सामान्यतः इस डिजिटल भाषा को विशेषज्ञों और जानकारों द्वारा आम लोगों के उपयोग के लिए एक आधारभूत प्रोग्राम तैयार किया गया। जिसने आम लोगों के लिए डिजिटल भाषा की आवश्यकता को ख़त्म कर दिया है।
ऑपरेटिंग सिस्टम का चुनाव जरुरत और बजट को ध्यान में रखकर करना चाहिए। उदाहरण के लिए लाइनक्स (लिनक्स) के ऑपरेटिंग सिस्टम कीमत में कम लेकिन चलाने में काम मैत्रीपूर्ण (फ्रेंडली) हैं। एप्पल का ऑपरेटिंग सिस्टम – मैकिन्टोश (Macintosh) कीमत में अधिक होने के साथ – साथ चलाने में भी आसान है। आम तौर पर निजी कम्प्यूटर्स (PC) में सबसे अधिक माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज (windows) ऑपरेटिंग सिस्टम का कीमत में कम और चलाने में आसान होने के वजह से सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।
- प्रोसेसर का चुनाव – एक प्रोसेसर आपके मशीन का इलेक्ट्रॉनिक दिमाग होता है। यह आदेशपालन की गति और अधिकतम आदेशों का क्रियान्वयन और कार्यान्वयन को हार्डवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम की सहायता से सुनिश्चित और नियंत्रित करता है। इसका चुनाव प्रयोजनानुसार आवश्यक गति और क्षमता को ध्यान में रखकर करना चाहिए। बाजार में इस क्षेत्र में दो दिग्गज निर्माताओं इंटेल (intel) और ए एम डी (AMD) के प्रोसेसर मुख्यतः उपलब्ध हैं। इसमें से भी इंटेल के प्रोसेसर अधिक अनुभव, विशेषज्ञता और विशाल सेवा (सर्विस) क्षेत्र के कारण आम तौर पर अधिक प्रचलित और उपयोग किये जाते हैं। यदि तुलनात्मक अध्ययन की बात करें तो AMD के प्रोसेसर इंटेल की तुलना में अधिक क्षमतावान और कीमत में कम हैं लेकिन बाजार में इस क्षेत्र में नये होने की वजह से कम अनुभव के कारण लोग इसका चुनाव करने से बचते हैं। कम बजट में अधिक क्षमतावान प्रोसेसर के लिए AMD का चुनाव सही साबित हो सकता है।
- स्क्रीन साइज और रेजोल्युशन (resolution) – मॉनिटर या लैपटॉप की स्क्रीन साइज तिरछे (डायगोनल) में मापी जाती है। और इसका रेजोल्युशन (resolution) पिक्सेल में मापा जाता है। पिक्सेल किसी पिक्चर में स्थित छोटे – छोटे वर्गाकार तत्व हैं जिसके द्वारा किसी पिक्चर की क्वालिटी की समीक्षा की जाती है। स्क्रीन छोटे वर्गाकार तत्वों के रंगों को बदलकर आपके द्वारा देखी जाने वाली छवि बनाती है। एक सीमित क्षेत्र में अधिक वर्गाकार तत्वों का आना स्क्रीन रेजोल्यूशन के बढ़ने को दर्शाता है। इसका अर्थ है कि अधिक रेजोल्युशन वाली टेबलेट की छोटी स्क्रीन एक कम रेजोल्युशन वाली मॉनिटर की बड़ी स्क्रीन के बराबर पिक्चर की क्वालिटी रखता है। स्क्रीन की साइज और रिजोलुशन का प्रत्यक्ष (डायरेक्ट) रूप से कोई सम्बन्ध नहीं है।अधिक रेजोल्युशन पिक्चर की गुणवत्ता को बढ़ाती है। अधिक बड़ी स्क्रीन आपको निश्चित पटल पर बिना स्क्रॉल (सरकाये) किये अधिक जानकारी प्राप्त कराती है। अतः बड़ी स्क्रीन और अच्छा रेजोल्युशन आपके स्क्रीन के अनुभव और काम की गति को निश्चित ही बढ़ाएगा। मार्किट में अधिक कीमत में बेहतर पिक्चर क्वालिटी की स्क्रीन मौजूद हैं जो संभवतः आम तौर पर महँगी हैं। अतः बजट अनुसार ही अपना संयोजन (कॉम्बिनेशन) चुनें।
- रैम (RAM)– रैंडम एक्सेस मेमोरी (RAM) आपके सिस्टम का शॉर्ट-टर्म डेटा स्टोरेज है; यह आपके कंप्यूटर द्वारा सक्रिय रूप से उपयोग की जा रही जानकारी को संग्रहीत करता है ताकि इसे जल्दी से एक्सेस(उपयोग) किया जा सके। आपका सिस्टम जितने अधिक प्रोग्राम चला रहा है, आपको उतनी ही अधिक मेमोरी की आवश्यकता होगी। अधिकतम RAM का सपोर्ट कंप्यूटर के मदरबोर्ड और प्रोसेसर के संयोजन (कॉम्बिनेशन) की क्षमता पर निर्भर करता है। अधिकतम RAM आपके कंप्यूटर के कार्यान्वयन की गति को बढ़ाता है। RAM का चुनाव अपनी जरुरत, बजट और मशीन के वास्तुकला (आर्किटेक्चर) के अनुसार करना चाहिए।
- स्टोरेज क्षमता – कंप्यूटर स्टोरेज डिवाइस एक हार्डवेयर डिवाइस है , जिसका उपयोग डिजिटल डेटा और एप्लिकेशन को स्टोर करने के लिए किया जा सकता है। जो कि इमेज, वीडियो, ऑडियो आदि के रूप में हो सकता है। यह कंप्यूटर का एक मुख्य अंग है। हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) और सॉलिड स्टेट ड्राइव (SSD) इसके उदाहरण हैं। HDD और SSD में मुख्य अंतर उनकी कार्यान्वयन की गति को लेकर है। SSD स्टोरेज में नवीनतम और उन्नत खोज है ,जिसमें पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक सर्किट का उपयोग किया जाता है। जबकि HHD इस श्रेणी में उपयोग होने वाला परंपरागत हार्डवेयर डिवाइस है , जिसमें कार्यान्वयन के लिए मैकेनिकल क्रिया होने के करण प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) की गति SSD के अपेक्षा कम होती है। परिणामस्वरूप SSD तुलनात्मक रूप से HDD से महँगी हैं। दोनों के संयोजन (कॉम्बिनेशन) का चुनाव एक अच्छा सौदा साबित हो सकता है।
- ग्राफ़िक्स मेमोरी – ग्राफिक्स मेमोरी , अस्थिर मेमोरी की एक मात्रा है। जो कंप्यूटर की ग्राफ़िक्स की बेहतर क्वालिटी के उद्देश्य के लिए समर्पित है। यह एक ग्राफिक्स चिप पर लगाई गई रैम है, जो आंतरिक या बाहरी हो सकती है, और यह मदरबोर्ड से भी जुड़ी होती है। जो मॉनिटर पर डिजिटल छवियों का निर्माण करती है। जो एक निश्चित रेजोल्युशन पर पिक्चर को अधिक मेमोरी की बिट्स को इकठ्ठा और आवंटित (allocate) की प्रक्रिया का उपयोग कर उच्चतम रेजोलुशन के पिक्सेल में परिवर्तित कर स्क्रीन पर दिखाता है। जिससे फोटो और वीडियो की गुणवत्ता (क्वालिटी) में वृद्धि होती है। यह एक वैकल्पिक इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर चिप है। जो सामान्यतः ग्राफ़िक्स सम्बंधित सञ्चालनों (ऑपरेशन) जैसे – वीडियो एडिटिंग , वीडियो गेमिंग आदि के लिए अनिवार्य उपकरण है। सामान्यतः आजकल लैपटॉप में अंतर्निर्मित (इनबिल्ट) ग्राफ़िक्स मेमोरी का विकल्प बाजार में उपलब्ध है। बिना उपयोग के अधिक ग्राफ़िक्स मेमोरी का चुनाव बेवजह का खर्चा बढ़ा सकता है।
- कीबोर्ड – कीबोर्ड कुंजियों का एक समूह है जो आपको कंप्यूटर में डेटा दर्ज करने और आदेश देने में सक्षम बनाता है। यह कंप्यूटर का मुख्य इनपुट डिवाइस है। इसमें कई कुंजियाँ होती हैं जिन्हें स्क्रीन पर अक्षरों, अंकों या प्रतीकों जैसे वर्णों को प्रदर्शित करने के लिए दबाया जा सकता है। हालाँकि, कुछ प्रतीकों को बनाने के लिए कुछ प्रतीकों को एक साथ दबाने और रखने की आवश्यकता होती है। सामान्यतः कीबोर्ड में अंकीय कुंजियाँ ऊपर एक कतार में 1 से 0 के रूप में होती हैं। लेकिन किन्हीं परिस्थिति या मॉडल्स में टाइपिंग और संचालनों (ऑपरेशन्स) को आसान बनाने के लिए अंकीय कुंजियों का समूह कीबोर्ड के दायीं तरफ दिया जाता है। जिसे संख्यात्मक (न्यूमेरिक) कीबोर्ड कहा जाता है।
एक अन्य प्रकार में कीबोर्ड में कुंजियों के अच्छे दृश्यात्मक प्रभाव (विसुअल इफ़ेक्ट) या अँधेरे में टाइपिंग को संभव बनाने के लिए कुंजियों में LED लाइट का उपयोग किया जाता है। जिसे बैकलिट कीबोर्ड कहा जाता है। अधिक टाइपिंग से सम्बंधित कार्य के लिए बैकलिट कीबोर्ड का विकल्प एक अच्छा विचार साबित हो सकता है।
- पोर्ट्स – एक कंप्यूटर पोर्ट, कंप्यूटर और उसके परिधीय उपकरणों के बीच एक इंटरफेस या कनेक्शन का एक बिंदु है। जो कंप्यूटर और उपकरण के बीच संपर्क (कनेक्शन) और संचार (कम्युनिकेशन) को सुनिश्चित करता है ताकि डिजीटल जानकारी का आदान प्रदान और नियंत्रण आसानी से किया जा सके। आमतौर पर, कनेक्टर के फीमेल एंड को पोर्ट के रूप में संदर्भित किया जाता है और यह आमतौर पर मदरबोर्ड पर लगाया जाता है। सामान्य बाह्य उपकरणों में माउस, कीबोर्ड, मॉनिटर या डिस्प्ले यूनिट, प्रिंटर, स्पीकर, फ्लैश ड्राइव आदि हैं। जिनमें मेल एंड (end) के रूप में पोर्ट के कनेक्टिविटी व्यव्हार (बेहेवियर) को संदर्भित किया जाता है।
- बैटरी क्षमता – बैटरी क्षमता को वर्तमान के एक उत्पाद (आउटपुट) के रूप में परिभाषित किया जाता है जो बैटरी से खींचा जाता है जबकि बैटरी , लोड की आपूर्ति करने में सक्षम होती है जब तक कि इसका वोल्टेज प्रत्येक सेल के लिए एक निश्चित मात्रा से कम न हो जाए। अधिकतम बैटरी क्षमता आपके कार्य के निरंतरता को बिना रुके लम्बे समय तक करने को सुनिश्चित और सक्षम बनाता है। एक कुशल और प्रभावशाली पावर मैनेजमेंट सिस्टम के साथ अधिकतम बैटरी क्षमता आपके लैपटॉप की मूल्य प्रभावशीलता (कॉस्ट इफेक्टिवनेस) को बढ़ाएगा।
- अतिरिक्त विशेषताएं – अतिरिक्त विशेषताओं में अन्य हार्डवेयरों की उपस्थिति पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। जो आपके कंप्यूटर की सुरक्षा, प्रदर्शन, कार्य की सुगमता को और अधिक बढ़ाता है। जैसे – फिंगर प्रिंट सेंसर और फेस डिटेक्शन सिस्टम आपके PC को कार्य के लिए जल्दी तैयार और PC की सुरक्षा को बढ़ाता है , टच स्क्रीन आपकी कार्य की सुगमता को बढ़ाती है , 4 G सक्षम सिस्टम आपके इंटरनेट कनेक्टिविटी को आसान बनाता है।
- वजन में हल्के (लाइट वेट) लैपटॉप – हलके वजन के लैपटॉप आपके पोर्टेबिलिटी के लिहाज से एक अच्छा विकल्प है। वजन में हल्का होना इसे अधिक उपयोक्ता मैत्रीपूर्ण (यूजर फ्रेंडली) बनाता है। इस विशेषता के कारण इनकी तुलनात्मक कीमत अधिक होती है।


