एयर कंडीशनर का चुनाव एक तकनीकी लेकिन आसान प्रक्रिया है।
एयर कंडीशनर सामान्यतः भारतीय जलवायु के परिपेक्ष्य में अधिकतर गर्मी के मौसम में ही उपयोग किये जाते हैं। इसका मुख्य कारण उष्णकटिबंधीय (ट्रॉपिकल) जलवायु के कारण तापमान का अधिकतम होना है साथ ही एक लम्बी तटीय रेखा होने के कारन तटीय शहरों में अधिक आर्द्रता भी एक मुख्य कारण है। लेकिन इसके विपरीत आज मार्केट में सर्दी और गर्मी दोनों मौसम के लिए सुविधानुसार एयर कंडीशनर उपलब्ध हैं।
भारत में जब भी गर्मी के मौसम के बारे में बात होती है, तो प्रायः उमस भरी पसीने वाली गर्मी और असहज अनुभव के बारे में चर्चा की जाती है। राजस्थान के कुछ इलाके जहाँ उच्च तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक या उसके भी ऊपर चला जाता है। भारत में गर्मी का मौसम न केवल बढ़ते तापमान के कारण बल्कि उच्च आर्द्रता के साथ तटीय इलाकों जैसे – मुंबई, चेन्नई, कन्याकुमारी में असहनीय हो जाते हैं।
वातावरण के तापमान का उच्च स्तर मानव द्वारा किये गए प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। हालाँकि, तकनीक ने एयर कंडीशनर के रूप में हमारे लिए जीवन को आरामदायक बना दिया है। एयर कंडीशनर ने इस असहज वातावरण को एक सुखद एहसास में बदल दिया है। इसके लिए सही एयर कंडीशनर का पता होना बेहद जरुरी है अन्यथा एक गलत चुनाव हमारे जेब खर्च को बेकार में बढ़ा सकता है।
उपभोक्ता के लिए सबसे जरुरी और निर्णायक कारक यह है कि विंडो एसी मॉडल, स्प्लिट एसी मॉडल या नवीनतम इन्वर्टर एयर कंडीशनर में से किसको चुनें। सामान्यतः विंडो एसी तुलनात्मक सस्ते और स्थापित करने में आसान होते हैं। जबकि स्प्लिट एसी शांत, दिखने में मनभावन होने के साथ बेहतर वायु वितरण और प्रभावशाली वायु परिसंचरण भी प्रदान कराते हैं लेकिन विंडो एसी की तुलना में मंहगे भी होते हैं। यदि विंडो एसी का विकल्प उपलब्ध हो तो , इसके लिए ही जाएँ।
एक एयर कंडीशनर हवा के तापमान, आर्द्रता या सामान्य गुणवत्ता को बदल सकता है। अधिक विशेष रूप से, एक एयर कंडीशनर घर से गर्मी खींचकर और उस गर्मी को बाहर की ओर स्थानांतरित करके, फिर आपके घर के अंदर की हवा को ठंडी हवा से बदलकर आपके घर को ठंडा बनाता है। इस कार्यप्रणाली को एक जटिल प्रक्रिया द्वारा संभव किया जाता है। जो पूर्ण रूप से तकनीकी आधारित है। अतः एयर कंडीशनर का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए। गलत चुनाव आपके जेब खर्च को बढ़ा सकता है।
- विंडो एसी – यह आमतौर पर व्यक्तिगत कमरे/कक्ष/अपार्टमेंट को ठंडा करने के लिए उपयोग किया जाता है। विंडो एयर कंडीशनर में एयर कंडीशनिंग ऑपरेशन के सभी तत्व और संरचनाएं एक ही आवरण भित्ति में स्थापित होते हैं। फलस्वरूप इसका मूल्य स्प्लिट एसी से काम होता है।
- स्प्लिट एयर कंडीशनर – इस एयर कंडीशनिंग व्यवस्था में एयर कंडीशनर को दो भागों में बाँट दिया जाता है। जिसमें एक आंतरिक इकाई होती है जो वाष्पीकरण, वायु वितरण और परिसंचरण तथा परिशोधन (फ़िल्टर) का कार्य करता है। और बाहरी इकाई एक धातु की कैबिनेट असेंबली होती है जिसमें कंडेंसर, पंखा और कंप्रेसर होता है जो एयर कंडीशनिंग की पूरी प्रक्रिया को संभव बनाता है।
- इन्वर्टर एयर कंडीशनर – इन्वर्टर एयर कंडीशनर में एक इन्वर्टर, कंप्रेसर मोटर की गति को नियंत्रित करता है , जो तापमान को लगातार कम ऊर्जा खपत में एक सामान बनाये रखता है। डीसी इन्वर्टर इकाइयों में चर आवृत्ति (वेरिएबल फ्रीक्वेंसी) ड्राइव का उपयोग किया जाता है जिसमें इलेक्ट्रोमीटर की गति को नियंत्रित करने के लिए एक समायोज्य (अडजस्टेबले) विद्युत् इन्वर्टर शामिल होता है जिसका अर्थ है की कंप्रेसर बिना कट-ऑफ या चालू हुए कूलिंग या हीटिंग की प्रक्रिया सामान रूप से कम ऊर्जा खपत के साथ कर सकता है।

एक प्रभावशाली एयर कंडीशनिंग कार्यप्रणाली में एयर कंडीशनर का चुनाव ही काफी नहीं है । एसी को स्थापित करने का स्थान का चुनाव भी एक जरुरी फैसला है। यह एसी की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावशाली और कुशल बना सकता है। यह सुनिश्चित भी किया जाना चाहिए की एसी की स्थापना (इंस्टालेशन) सही तरीके से और कुशल व्यक्ति द्वारा ही की जाए।
चलिए इसके बारे में कुछ चर्चा करते हैं –
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आपको एसी लेते समय सीधे पड़ने वाली सूर्य किरण और कमरे के आकार, दोनों को ध्यान में रखना चाहिए। केवल कमरे के आकर को ध्यान में रखकर लिया गया एसी सीधे सूर्य किरण पड़ने पर (एक या अधिक दीवारों पर) अपनी पूरी क्षमता से काम करने के बावजूद आपको प्रभावशाली कूलिंग नहीं दे पायेगा। इसलिए सुनिश्चित करें कि कमरे में कितने ओर से सीधे सूर्य की किरण आ रही है। उसके बाद ही आवश्यक क्षमता और जरुरत के हिसाब से एसी का चयन करें।
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सामान्यतः स्प्लिट एसी के मामले में आंतरिक इकाई को कमरे की सबसे लम्बी दीवार पर लगाना चाहिए।
- आपके स्प्लिट सिस्टम की बाहरी इकाई को मजबूत ब्रैकेट का उपयोग करके दीवार से जुड़ा होना चाहिए या मजबूत आधार पर स्थापित किया जाना चाहिए। यह इनडोर इकाई के जितना संभव हो उतना करीब होना चाहिए, आदर्श रूप से दो इकाइयों के बीच लगभग तीन से पांच मीटर की लम्बाई होनी चाहिए। अधिक लम्बाई एयर कंडीशनर की प्रभावशीलता को कम कर सकती है।
- सर्वोत्तम शीतलन के लिए, हवा के आतंरिक इकाई को यथासंभव छत के करीब स्थापित किया जाना चाहिए, जिसमें लाउवर (वायु प्रवाह दिशा निर्देशक) ठंडा करने के लिए क्षैतिज या ऊपर की ओर वायु वितरण संभव बनाते हैं। और गर्म करने के लिए, लौवरों को नीचे की ओर निर्देशित रखा जाता है।
- रेफ्रिजरेंट गैस हैंडलिंग जटिल लेकिन महत्वपूर्ण कार्य है, कंपनी के लाइसेंस प्राप्त एयर कंडीशनर इंस्टॉलर द्वारा ही एसी इंस्टॉलेशन किया जाना चाहिए।
- आपको आंतरिक इकाई को सीधे पड़ रही सूर्य किरणों वाली दिवार पर लगाने से बचना चाहिए।
- एक प्रभावशाली और क़म खर्चीला एसी का चुनाव करने के लिये उसका अधिकतम ISEER सूचकांक, सर्वोत्तम स्टार रेटिंग , पूर्ण कॉपर कंडेंसर कोइल का होना सुनिश्चित कर लें।
- एयर कंडीशनर के बाहरी हिस्से को सीधी धूप से बचाएं।
- निश्चित रूप से जब आप एयर कंडीशनर स्थापित कर लेते हैं, तो इसे लम्बे समय के लिए कुशल संचालन के लिए समय-समय पर साफ और अच्छी तरह से उपयोग में लाना सुनिश्चित करें।
- एक प्रभावशाली और क़म खर्चीला एसी का चुनाव करने के लिये उसका अधिकतम ISEER सूचकांक, सर्वोत्तम स्टार रेटिंग , पूर्ण कॉपर कंडेंसर कोइल का होना सुनिश्चित कर लें।


