स्ट्रीट शॉपिंग टिप्स

सही खरीददारी की सबसे बड़ी बात बार्गेनिंग नहीं है। 

व्यापार जगत में विशेष रूप से लोकल बाजार में बार्गेनिंग कुछ समय के लिए हमें आकर्षित कर सकती है, लेकिन व्यापार जगत में बार्गेनिंग को व्यापारी, उपभोक्ता की जरुरत के हिसाब से अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। क्यूंकि लोगों का व्यव्हार उनकी रोजमर्रा की आदतों से सुनिश्चित होता है। और यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है। आपमें से बहुत सारे लोग बाजार खरीदने कुछ और जाते हैं लेकिन खरीद कर कुछ और लाते हैं , कुछ लोग ज्यादा मात्रा में कुछ खरीद लेते हैं , जबकि वो ऐसा सोच कर बाजार नहीं गए थे – आपमें से बहुत सारे लोगों के साथ ऐसा हुआ होगा।

खरीददारी की प्रक्रिया तार्किक (लॉजिकल) और मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिकल) दोनों है, और यह उपभोक्ता (कस्टमर) व्यवहार पैटर्न के साथ-साथ क्रय प्रवृत्तियों यानि खरीददारी की आदतों में गहन शोध और अध्ययन का विषय रहा है। आप जो खरीद रहे हैं और जो खरीदना चाहते हैं ये आपकी मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति पर निर्भर करता है। और इन मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों को हैक किया जा सकता है , और इसका उपयोग व्यापार जगत में बड़े पैमाने पर होता है। जो आपकी जेब को खाली करने में बड़ा किरदार निभाता है।

व्यापारियों का विशाल बहुमत मनोवैज्ञानिक नहीं हैं। लेकिन कई सफल व्यापारी उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए नियमित रूप से मनोविज्ञान का उपयोग करते हैं। स्मार्ट, कुशल और ईमानदार व्यापारी उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और अपने विश्वास को बनाये रखने के लिए कानूनी रूप से, नैतिक रूप से और सम्मानपूर्वक मनोविज्ञान का उपयोग करते हैं, और उन्हें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं।


 

व्यापार जगत में मनोवैज्ञानिक तानाबाना केवल ग्राहक व्यव्हार को ध्यान में रखकर ही तैयार किया जाता है और इसी तानेबाने के अंतर्गत व्यापारी और बड़ी ब्रांड्स ग्राहक को आकर्षित करने में सफल होती हैं। इस प्रक्रिया में बाजार द्वारा ग्राहक की मनोवैज्ञानिक व्यव्हार संरचना का ध्यान रखा जाता है , लेकिन इसके उलट अधिकांशतः ग्राहक मनोवैज्ञानिक तरीकों को अपने लिए इस्तेमाल किये बिना फैसला लेते हैं। चलिए संक्षेप में इसकी चर्चा करते हैं।

 

लोग अक्सर सही डील (सौदा) की ओर आकर्षित होते हैं। बड़े ब्रांड्स और व्यापारी इस मनोवैज्ञानिक अवस्था का नैतिकता से फायदा उठाते हैं। और ग्राहक की मांग पर ऐसा आकर्षक छूट का तानाबाना तैयार करते हैं जिससे उनकी बिक्री तो बढ़ जाती है लेकिन ग्राहक को तुलनात्मक मूल्य दर में कमी के बावजूद नुकसान ही होता है। उदाहरण के लिए – 3 वस्तुएं खरीदो और 5 पाओ ,इसके जरिये बिक्री तो बढ़ी लेकिन जरुरत न होने पर भी ग्राहक ने ज्यादा चीजें खरीदीं। इसलिए इस तरह के छूट प्रस्तावों का उपयोग अपनी जरुरत के हिसाब से करें और अपनी सोची समझी जरुरत के अंतर्गत ही चीजें खरीदें। इससे समय, पैसा और मेहनत तीनों में बचत की जा सकती है।

मानव व्यवहार अध्ययन में पाया गया है कि आधुनिक (मॉडर्न) व्यक्ति नकदी से ज्यादा क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से भुगतान करने को प्राथमिकता देते हैं। इसका कारण पैसों के प्रति पारदर्शिता का छुपा होना और सँभालने में आसानी है। क्रेडिट कार्ड प्रवृत्ति (ट्रेंड) ,व्यक्ति को जरुरत या पैसा न होने पर भी खरीदने को प्रेरित करती है ,जिससे आपकी जमापूंजी पर नकारात्मक असर पड़ता है। अतः आपको बिना क्रेडिट कार्ड या नकदी से ही खरीददारी करना चाहिए। यह आदत भी आपके सकारात्मक आर्थिक बदलाव में मुख्य भूमिका निभा सकती है। 

शोध (रिसर्च) के अनुसार आपको धीमा संगीत सुनते हुए एक ही स्थान पर ज्यादा देर तक रूककर खरीददारी नहीं करना चाहिए। यह आपको ज्यादा खरीदने के लिए प्रेरित करता है अतः आपको अपना हेडफोन लगाकर अपने पसंद का संगीत सुनते हुए अपनी जरुरत के हिसाब से खरीददारी करना चाहिए। यह एक अजीब तथ्य है लेकिन यह काम करता है।
इस तरह के अजीबोगरीब ख़रीददारी से सम्बंधित तथ्यों के बारे में जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें।।