खरीददारी से सम्बंधित तथ्य
खरीददारी परंपरागत रूप से “चाहत और जरुरत” इन दो मुख्य बिंदुओं के बीच अपना स्थान रखती है। इन दो स्थानों के बीच बहुत कम जगह बचती है जिसके अंतर्गत ही कोई भी व्यक्ति खरीददारी का फैसला करता है। जिसमें उच्च मूल्य, गुण और आनंद का तड़का इसको और अधिक जटिल बनाते हैं। खरीददारी मानव व्यवहार की एक आकर्षक परीक्षा है। यह एक आवश्यकता और आनंद दोनों है, जिसका अर्थ है कि यह हमारे प्रेरणाएँ (मोटिवेशन) और इच्छाएँ द्वारा संचालित होती हैं। आज की दृष्टि से खरीददारी , मनोवृत्ति पर आधारित परिणाम है जिसके अंतर्गत ही हमारे द्वारा होने वाले खर्च के लिए फैसले लिए जाते है। मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में लोगों के व्यवहार का अध्ययन, व्यापर जगत में मुनाफे को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। हमें इन मनोवैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखकर ही खरीददारी करना चाहिए।
चलिए कुछ मनोवैज्ञानिक पहलुओं की चर्चा हम शीर्ष 10 के रूप में करते हैं। जो आपकी खरीददारी को किफायती और सुगम बनाएंगीं –
1. धीमा और शास्त्रीय (क्लासिकल) संगीत आपकी खरीददारी को महंगा बना सकती हैं –
प्रोफेसर रोनाल्ड ई. मिलिमन के अध्ययन ” शॉपर्स के व्यवहार को प्रभावित करने के लिए पृष्ठभूमि संगीत का उपयोग करना ” में पाया गया कि स्टोर जो धीमा संगीत बजाते थे, उनकी बिक्री में लगभग 40% की वृद्धि हुई। धीमा संगीत आपको किसी जगह पर अधिक देर तक रुकने के लिए प्रोत्साहित करता है। परिणामस्वरूप आप अधिक देर तक रुकने के साथ अधिक खरीददारी भी करते हैं। और यह आपके लिए मंहगा साबित हो सकता है। इसके विपरीत आप हैडफ़ोन में अपने पसंद का गाना सुनते हुए अपने हिसाब से खरीददारी करें और मार्किट हैक्स (बाजार कूटनीति) के चंगुल में फंसने से बचें।
2. हाई हील्स पहनकर खरीददारी करें -
हाल ही में एक ऑडबॉल (oddball) अध्ययन में पाया गया कि जब उपभोक्ताओं का दिमाग संतुलित (बैलेंस्ड) रहने पर केंद्रित था, तो वे अधिक महंगे या निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पाद के बजाय मध्य-श्रेणी के उत्पाद का चयन करने की संभावना रखते थे। सुनने में ये यह बहुत असहज लगता है, लेकिन अध्ययन में पाया गया कि योग कक्षा (yoga class) के बाद खरीदारी या एस्केलेटर (चलित सीढ़ियां) की सवारी करने के बाद भी वही प्रभाव पड़ता है, ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी के अध्ययन लेखक जेफ्री लार्सन ने विश्वविद्यालय समाचार प्रदर्शन में यह बताया। यह मनोवैज्ञानिक जानकारी आपकी खरीददारी को किफायती बना सकती है।
3. अधिक बार्गेनिंग मंहगा सौदा साबित हो सकता है -
यह उल्टा लगता है, लेकिन बहुत अच्छा सौदा (बार्गेनिंग) करना उल्टा पड़ सकता है। जब आपको लगता है कि आपने सौदा (बार्गेनिंग) कर उपहारों पर पैसे बचाए हैं, तो विशेषज्ञोंके अनुसार आप बचाए गए पैसों से अधिक खर्च करने की संभावना रखते हैं। दूकानदार आपको अपने लाभांश सीमा से अधिक सस्ता दे ही नहीं सकता। मुमकिन है की वह आपको लाभांश सीमा (मार्जिन) से दो से तीन गुना ज्यादा कीमत बताये और आप बार्गेनिंग करने के बाद भी अधिक कीमत चूका के आएं। बार्गेनिंग एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें दुकानदार और खरीददार के बीच समझ विकसित होती है जिसमें दोनों को फायदा होना चाहिए या होता है। लेकिन सामान्यतः दुकानदार मनोवैज्ञानिक सूझबूझ से खरीददार को वास्तु की सही कीमत से ज्यादा देने पर सहमत कर देते हैं। सामान्यतःआपको बिना मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के बारे में जानकारी के चलते बार्गेनिंग वाले बाजार और दुकानों का चयन करने से बचना चाहिए।
4. स्टोर या दुकान कर्मचारी–विशेष से निकटता (मित्रता) से बचें -
किसी कर्मचरी विशेष से निकटता आपको पसंद या बजट में न आने पर भी वस्तु को लेने पर विवश करेगी। और संभव है की आप गैर किफायती या ठग के शिकार हों। और अधिक जानकारी के लिए आप forbs.com नोट्स को पढ़ सकते हैं।
5. क्रेडिट कार्ड के बिना खरीददारी करें -
शोध से पता चलता है कि लोग नकदी से ज्यादा कार्ड से खरीददारी को अधिक प्राथमिकता देते हैं। भुगतान के मामले में कम पारदर्शिता (ट्रांसपेरेंसी) लोगों को पसंद है। और नकदी उन्हें अधिक पारदर्शी (ट्रांसपेरेंट) बनाती है। चूँकि क्रेडिट कार्ड आपको अतिरिक्त पूंजी की सुविधा मुहैया कराता है जो आपको अधिक खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है। फलस्वरूप आप आवश्यक के बिना और सीमा से अधिक खरीददारी करते हैं जो आपकी आर्थिक स्थिति को प्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभावित करता है आवश्यकता से अधिक खरीदना कभी भी खरीददार के पक्ष में नहीं होता। अतः नकदी से या आवश्यकतानुसार पहले से तय सूचि के अंतर्गत ही खरीददारी करें।
6. मिंट की गोली चूसते हुए खरीददारी करें –
शोध से पता चलता है कि स्टोर मालिक गंध के जादू का उपयोग खरीदारों को अधिक पैसा खर्च करने के लिए करते हैं। वास्तव में, एक अध्ययन में पाया गया कि कॉफी की गंध को गैस स्टेशन में पंप करने से कॉफी की खरीद में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जब आप खरीददारी करते हैं तो ब्राउज़ (आइटम सेलेक्ट) करते समय पुदीने के स्वाद वाली किसी चीज़ को चबाना स्टोर की गंध को रोक सकता है जिससे आपको किसी भी आवेगपूर्ण (मनुपुलटीवे) खरीद से बचने में मदद मिलती है।
7. कम से कम स्टोरों पर जाएँ -
सामान्यतः एक अच्छा सौदा (डील) पाने के लिए एक ही चीज के लिए अधिक स्टोरों पर जाना हमारे लिए मंहगा साबित हो सकता है। फोर्बेस (forbes) के अनुसार अधिक स्टोरों पर जाना हमें अधिक सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है। आपको तुलनात्मक खरीददारी करना चाहिए और इसके लिए दो या तीन स्टोरों पर जाना ही काफी है। अधिक विविधता (वैरायटी) उलझन पैदा करती है और फलस्वरूप हम जरुरत की चीज को भूलकर आकर्षण की चीज़ को प्राथमिकता देते हैं और ये आपकी खरीददारी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
8. बस खुदको दूर ले जाइये -
खरीददारी हमारे मस्तिष्क को आनंद महसूस कराता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार – अच्छा महसूस (फील गुड) कराने वाला मस्तिष्क रसायन डोपामिन हमारे सोनोप्सेस के माध्यम से बहता है , व्यापारी आपके इस मनोवैज्ञानिक गतिविधि को समझते हैं और इसे हाईजैक कर सकते हैं। जिससे आप उन चीजों खरीदने के लिए उत्सुक होते हैं, जिनकी आपको जरुरत नहीं है। इस प्रभाव को कम करने के लिए स्वास्थ्य रिपोर्टर – ‘तारा पार्कर पोप’ का सुझाव है कि आप संभावित खरीददारी से दूर चले जाएँ और अगले दिन वापस आकर देखें की क्या आप इसे अभी भी चाहते हैं। वह बताती हैं कि “यह स्थिति की नवीनता को ख़त्म कर देगा और आपको अधिक स्पष्ट फैसला लेने में मदद करेगा।”
9. अपने वित्तीय लक्ष्य की फोटो या नोट्स अपने साथ रखें -
विशेषज्ञों का कहना है कि चाहे वह घूमने का प्लान हो या मनपसंद गाडी खरीदने की चाहत या आपके सपने को पूरा करने का कोई अंश , जब आप इसे देख सकते हैं तो आपके लिए बचत करना बहुत आसान हो जाता है। बेन्सन आपको लक्ष्य के लिए एक विजन बोर्ड बनाने का सुझाव देता है। कर्टिस के अनुसार, आपके बटुए के अंदर या आपके फोन की पृष्ठभूमि (बैकग्रॉउंड) पर रखी गई एक तस्वीर आपके लक्ष्य का एक दृश्य आपको बार बार याद दिलाकर आपके लक्ष्यप्राप्ति के लिए प्रेरित (मोटीवेट) करने में मदद करता है।
10. अपने बजट की बार बार पुनर्गणना या चेक करें –
बजट ही हमारी आर्थिक गतिविधि को निर्धारित करता है। हमें हमारी आमदनी के हिसाब से बजट को बार बार चेक करते रहना चाहिए। बजट और बचत के सही अनुपात को ध्यान में रखते हुए जरुरत और तय सूची के अंतर्गत ही खरीददारी करना चाहिए। यह गतिविधि हमें हमारे लक्ष्य प्राप्ति में तो मददगार होगी ही, साथ ही हमारी आर्थिक आत्म निर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएगी। सामान्यतः बजट से ऊपर खरीददारी हमारे आर्थिक ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव डालती है । लम्बे समय तक आर्थिक स्वतंत्रता या सक्षमता बनाये रखना एक कला है। और यह कला बार बार बजट की पुनर्गणना कर समीक्षा करने से और मजबूत होगी। अतः बजट को चेक करके खरीददारी या खर्च के लिए सुनश्चित करना चाहिए।
